हर रोज़ की चुनौतियों से लड़ना पसंद करता हूँ, मैं सूर्य हूँ आसमाँ का, मैं बढ़ना पसंद करता हूँ।
न रोक सकी ये बंदिशें, न रोक सका ज़माना, न रोक सके दुनिया के लोग, अब लिख रहा हूँ ये फसाना।
हर रोज़ की चुनौतियों से लड़ना पसंद करता हूँ, मैं मशाल की एक लौ हूँ, मैं उठना पसंद करता हूँ।
न हाथों में हतकडियाँ हैं न पाँव में हैं बेडिया, न बंद दरवाजों के पीछे हूँ, न कोठरी में मैं जिया
न रोक पायेगा मज़हब न रोक सकेगा कोई इंसान, मुक़द्दर का ग़ुलाम नहीं मैं, न मैं लेता झूँठा सलाम,
न रोक पाएंगे चाँद सितारे, न रोक सकें सोच के दाएरे, आवाम के शोर का टहलुआ नहीं मैं, बस मानु अपना कलाम
न रोको मुझे, क्योंकि मैं चलना पसंद करता हूँ, हर रोज़ की चुनौतियों से लड़ना पसंद करता हूँ, मैं बेल की एक शाख़ हूँ, में चढ़ना पसंद करता हूँ।
दिन से, पहाडों से, नदी के अटूट बहाव से, समुद्री तेज़ लहरों से, हर रोज़ शाम सवेरो से, यही सीख हर दम लेता हूँ
कि हर रोज़ की चुनौतियों से लड़ना पसंद करता हूँ, मैं तूफानी बुलंद जहाज़ हूँ, मैं लड़ना पसंद करता हूँ।
न ख़्वाबों पर हों बंदिशें न डर डर के हम जियें, न ज़माने की फिक्र हो, क्यों कड़वे घूंट हम पियें
सोचते थे जब दुनिया की, मिले थे तो बस ग़म और सितम, अब सोच कर हँस देता हूँ कि ऐसे क्यों जिये हम।
भेड़ चाल चल दिये, की नही थी बस ख़्वाइशें, गिले किये शिक़वे किये, की नही थी बस कोशिशें, लेकिन अब ख़्वाइशें और कोशिशें करना पसंद करता हूँ
क्योंकि हर रोज़ की चुनौतियों से लड़ना पसंद करता हूँ, मैं बाज़ हूँ तेज़ हवाओं का, मैं उड़ना पसंद करता हूँ।
महरूम था आज़ादी से, तो महरूम था खुशी से, महरूम था जो अपनी ज़िद्द से, तो महरूम था अपनी ज़िंदगी से
अब ज़िन्दगी पूरी जीनी है, हर ज़िद्द अब पूरी करनी है, अब कोशिश पूरी करनी है, पूरी आजादी रखनी है
महरूम रहने की फितरत अब छोड़ चुका हुँ
क्योंकि हर रोज़ की चुनौतियों से लड़ना पसंद करता हूँ, मैं आज़ाद शेर हूँ खुले जंगलों का, मैं दहाड़ना पसंद करता हुँ।
समय के अटल बहाव सा, जो न रुक सके उस सैलाब सा, मलंग सा, पतंग सा, खुशी से रहूँ दंग सा, मैं बलशाली मैं बुद्धिमान, न घटने दू कभी अपनी शान
सब्र अब नही है, नही है अब इंतज़ार, नही घेरेंगे अब ग़म के बादल, नही होगा अब मन बेकरार
चलना नहीं चाहता हूँ, अब चीर कर निकल जाना है, पार करनी है हर मुश्किल अब बिजली सा बन जाना है।
सोच लिया जो अब कर दिखाता हूँ।
क्योंकि हर रोज़ की चुनौतियों से लड़ना पसंद करता हूँ, मैं रुद्र हूँ इरादों का, मैं इरादों को असलियत में, सोच को सच में, ख़्वाबों को हक़ीक़त में, मंसूबों को कार्य में बदलना पसंद करता हूँ।
3 responses to “Facing the challanges of life”
महरूम था आज़ादी से, तो महरूम था खुशी से, महरूम था जो अपनी ज़िद्द से, तो महरूम था अपनी ज़िंदगी से
अब ज़िन्दगी पूरी जीनी है, हर ज़िद्द अब पूरी करनी है, अब कोशिश पूरी करनी है, पूरी आजादी रखनी है|
Waah…. such Beautiful morning motivation ❤️
Supr.Beautiful lines
सर झुकाने की आदत नहीं है,
आँसू बहाने की आदत नहीं है,
हम खो गए तो पछताओगे बहुत,
क्योंकि…
हमारी लौट आने की आदत नहीं है।
So come back… ?